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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग ८

अंजली और अमित एक बार फिर जुदा हो जाते है । दोबारा मिलने की आस मै।


अंजली घर आ कर अमित के खयालों मै खो सी जाती है । परीक्षाएं समाप्त हो जाती है।

कुछ दिन बाद दरवाजे पर किसी की दस्तक होती है। अंजली जा कर देखती है। दरवाजे पर डाकिया होता है। अंजली आप हो । डाकिया पूछता है।

जी मै ही हू । अंजली कहती है

आप के नाम की चिट्ठी आई है यहां अंगूठा या दस्तखत करे ।

अंजली वो चिट्ठी लेकर अंदर आ जाती है । कोन था बेटा दरवाजे पर उसके पिता ने पूछा 

पिता जी डाकिया आया था । शायद मेरी किसी सहेली ने शहर से चिट्ठी भेजी है। अंजली कहती हुई अंदर चली जाती है।

अंजली उस खत को खोल कर पढ़ती हैं।

अंजली , समझ नही आ रहा  है कि क्या लिखूं । मै ने आज तक किसी भी लङकी को कोई  खत नही लिखा इस लिए मुझे कुछ नही पता की खत मै क्या लिखते हैं। मैं कश्मकश मै था की तुमको खत लिखूं या नहीं कही तुम्हे बुरा ना लग जाए । लेकिन मेरे दिल ने कहा की एक बार तुम्हे खत लिखूं । जब से तुम्हे देखा है तुमसे बाते की है तब से तुम्हे दोबारा देखने को जी करता है में नही जानता कि तुम से दूसरी मुलाकात कब होगी भगवान जाने  होगी भी या नही लेकीन मैं चाहता हू की हम दोनो खत के माध्यम से एक दूसरे से बाते करे एक दूसरे को जानने पहचानने की कोशिश करे क्यू ना हम दोस्ती से शुरुआत करे  अगर तुम भी मुझको अपना दोस्त बनाना चाहती हो ।

अगर तुम भी मुझे इस खत का जवाब देना चाहती हो तो मैने नीचे अपना पता लिख दिया है । एक दोस्त के नाते मुझे खत का जवाब जरूर देना मै इतंजार करूंगा । 

अमित

बापू कॉलोनी
रामपुर 
हाउस नंबर ५ 


अंजली उस खत को बार बार पढ़ती । उसे उसका खत पढ़ कर अच्छा लगाता हैं । वो रात का इतंजार करती खत का जवाब लिखने के लिए

जब सब सो जाते है। तब वो एक पेन और पेपर लेकर सोचती है कि क्या लिखूं । वो लिखती हैं

आपको और आपके परिवार वालो को मेरा नमस्ते 

उम्मीद करती हू वहा सब कुशल मंगल होगा । आप का खत पढ़ कर मुझे अच्छा लगा । परीक्षाएं खत्म हो चली है। अब बस परिणाम का इतंजार है । मै ने सोचा नही था की आप मुझे खत लिखे गै । मै तो भूल गई थी लेकिन सुबह जब डाकिया आया । मुझे लगा शहर से किसी रिश्तेदार का खत आया है । वैसे तो मंजू के अलावा मेरा कोई दोस्त नही है क्योंकि मुझे ज्यादा दोस्त बनाना अच्छे नही लगते है इसलिए लेकीन आपसे मिलकर मुझे अच्छा लगा और आप का खत पढ़ कर भी शायद इसी लिए मेरे दिल ने आपको खत लिखने की हामी भरी मुझे समझ नही आ रहा कि और क्या लिखूं जिसकी वजह से मैं अपनी बात यही खत्म करती हू 
आपकी दोस्त अंजली 


अंजली उसे लिफाफे मै रख कर बंद करके अपने तकिए के नीचे रख कर सो जाती है ।

अगली सुबह अंजली जल्दी उठ कर बाहर आ जाती है।
लगता है आज सूरज गलत दिशा से निकल आया है । जो ये महारानी जल्दी उठ गई आज । दादी ने ताना मारते हुए कहा।

ओफ्फो दादी जल्दी उठो तब मुश्किल देर से उठो  तब मुश्किल । तू रहने दे बेटा अपनी दादी को वैसे ये बता आज जल्दी कैसे उठ गई दुर्जन कहता है।

क्या पिता जी आप भी । दुर्जन हस्ते हुए अरे नही बेटा मै तो बस ऐसे ही पूछ रहा हूं । की कही तेरी तबियत तो खराब नही ।

ऐसा कुछ नही हुआ है। बस मेरी आंख खुल गई थी । जल्दी जिसके बाद मुझे नींद नही आई तो सोचा उठ कर आप का हाथ बटा दू। अंजली कहती है।

ओह मेरी प्यारी बेटी अब बडी हो गई देखो मां कितनी फिक्र है मेरी इसे । दुर्जन अंजली को गले लगाते हुए कहता है।

पिताजी मुझे डाकखाने जाना हैं। कल मेरी एक दोस्त ने मुझे एक खत लिखा था जिसका जवाब देने जाना है । क्या मैं जाऊ नाश्ता करके । अंजली पूछती है।

हा बेटा जरूर खत का जवाब देना । दुर्जन कहता है

अंजली खत के ऊपर टिकेट लगा कर पत्र पेठिका मे डाल देती है । इस उम्मीद के साथ की जल्द ही इसका जवाब मिल जायेगा ।

अब इस तरह उन दोनो की गुफ्तगू खत के माध्यम से हो जाती । दोनो को एक दूसरे के खत का इतंजार रहता । ना जाने कब वो दोनो दोस्ती की बाते करते करते प्यार की बाते करने लगें साथ जीने मरने के वादे करने लगें । उन के बीच अब प्यार ने जगह बना ली होती है ।

अंजली ने अपनी एक फोटो और अमित ने अपनी एक फोटो खत के माध्यम से दोनो को भेजी जिसे देख वो एक दूसरे के पास होने का अहसास कराते ।


आखिर कार जिस दिन का इतंजार अंजली और उसकी बाकी सहेलियां कर रही होती है वो दिन आ ही जाता है  परीक्षा परिणाम का दिन । अंजली बोहोत ज्यादा घबराई हुई मंजू के घर बैठी होती है और बाकी लड़किया और उसके पिता भी मंजू के घर बैठ कर उसके रिजल्ट आने का इतंजार कर रहे होते है ।

देखते देखते १२.३० बज जाते है और रिजल्ट आ जाता है। सारी लड़किया अपना अपना रिजल्ट देखती कोई पहली पोजिशन हासिल करती तो कोई दुसरी तीसरी ।

अंजली अब तू भी देख लें । ला अपना रोल नंबर बता दुर्जन कहता है। नही पिताजी मुझे बोहोत डर लग रहा है कही मै फैल ना हो गई हू। कही आपका सपना ना टूट गया हो । अंजली डरते डरते कहती है।

बेटा कोई बात नही ये ज़िंदगी हैं यहां हार जीत लगी रहती है । भगवान ना करें इस बार फैल हो गई तो दोबारा दाखिला ले लेना । चलो लाओ अब अपना रोल नंबर दो ।

अंजली डरते डरते अपना रोल नंबर पर्ची पर लिख कर देती है । और खुद कमरे की तरफ भाग जाती है।

मंजू अपने पिता के मोबाइल मै अंजली का रोल नंबर जैसे ही डालती है रिजल्ट देख सब के होश उड़ जाते है उसने उस जिले मे टॉप किया होता है।

ये देख दुर्जन काफी खुश होता है और कमरे मैं उदास बैठी अंजली के पास जाकर उसे बताता है की वो टॉप आई है जिले मे ।

ये सुन कर अंजली अपने पिता के गले लग जाती । और दोनो खुशी खुशी अपने घर जाते । अम्मा देख मेरी बेटी ने कितना नाम रोशन करा है पूरे जिले मे प्रथम आई है दुर्जन गर्व से सीना चौड़ा करते हुए कहता है।

अरे जा जा किया होगा टाप । अब बस इसके हाथ पीले करने की सोच कहीं अभी इसे शहर भेजने की तैयारी करे और पढ़ा ने के लिए । लङकी जात है आखिर क्या करेगी पढ़ लिख कर । उसकी दादी कहती है।

अरे अम्मा तुम भी सारे गांव ने बधाई दी अंजली को और एक तुम हों अपनी पोती को दो मीठे बोल भी नही बोल सकती । हर वक्त उसकी पढ़ाई के पीछे पढ़ी रहती हो । दुर्जन कहता है ।

चलो अंजली तुम अंदर जाओ मैं अभी खाना बना कर लाता हूं  तुम्हारे लिए । दुर्जन कहता हुआ रसोई मै चला जाता है ।

अंजली अमित को बताना चाहती थी । वो उसे खत लिखना चाह रही होती है लेकीन वो अभी लिख नही सकती थी क्योंकि पिता जी और दादी साथ होते है । वो बेसब्री से रात का इतंजार करती है





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5 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:17 PM

Very nice👌

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The traveller

26-Mar-2022 01:40 AM

👌👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

22-Mar-2022 08:53 PM

बहुत बेहतरीन रचना👌

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